फिल्म रिव्यू: आंखों की गुस्ताखियां – एक अधूरी मोहब्बत की कहानी | FilmiSurvey.com
भाई लोग, अब तो मानो हर हफ्ते एक नई लव स्टोरी सिनेमाघर में टपक पड़ती है। Aankho ki gustakhiya Review
लेकिन कुछ फिल्में होती हैं जो दिल छू जाती हैं, और कुछ बस छूकर निकल जाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म आई है – “आंखों की गुस्ताखियां”, जिसमें लव स्टोरी तो है, पर वो वाली फिल नहीं आई जो दिल को तोड़ दे या आंखों में नमी ला दे। चलो, डिटेल में बात करते हैं – पूरे कॉलेज स्टाइल में!
कहानी – पहली नजर वाला प्यार, लेकिन…
कहानी शुरू होती है ट्रेन में, जहां जहान बख्शी (विक्रांत मैसी) की मुलाकात होती है सबा शेरगिल (शनाया कपूर) से। ट्रेन में पहली बार मिलते हैं, लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है कि दोनों को कुछ दिन एक साथ बिताने पड़ते हैं। और जैसा कि होता है, धीरे-धीरे प्यार हो जाता है।
जहान को सबा के बारे में सब कुछ पता होता है, लेकिन सबा को जहान की जिंदगी का एक राज़ नहीं पता – और वही राज जहान को लगता है कि सबा को हज़म नहीं होगा। बस फिर क्या, हीरो गायब हो जाता है।
कुछ साल बाद, दोनों की फिर से मुलाकात होती है – इस बार एक विदेशी मुल्क में। लेकिन इस बार सबा आगे बढ़ चुकी होती है और अब वो अभिनव (ज़ैन खान दुर्गानी) के साथ रिलेशनशिप में होती है। अब सवाल उठता है – सबा किसके साथ रहेगी? जहान? या अभिनव? और जहान का वो राज़ आखिर था क्या?
कहानी का बेस – थोड़ा हटके, लेकिन फिल्मी
ये फिल्म रसकिन बॉन्ड की फेमस स्टोरी The Eyes Have It पर loosely based है। मानसी बगला ने जो कहानी लिखी है, वो सुनने में तो फ्रेश लगती है, लेकिन यार, थोड़ी ज़्यादा फिल्मी और अनरियल भी है। मतलब, हर मोड़ पर लगता है कि “ऐसा भी क्या होता है यार!” खासकर सेकंड हाफ में – जब सबा और जहान विदेश में मिलते हैं – वो जो इमोशन वाला फील होता है ना, वो मिसिंग है।
एक सीन है जहां सबा, अभिनव के साथ डांस कर रही होती है और जहान पियानो बजा रहा होता है। अब तीनों को पता है कि सब कुछ किसे क्या पता है… और वो सब एक-दूसरे की नज़रों में देख भी रहे हैं। लेकिन इमोशन गायब है! ऐसा लग रहा था जैसे सब एक्टिंग कर रहे हैं, लेकिन दिल से नहीं।
परफॉर्मेंस – विक्रांत मैसी फिर चमक गए!
चलो एक्टिंग की बात करें।
विक्रांत मैसी ने फिर साबित कर दिया कि वो नेचुरल एक्टिंग में मास्टर हैं। जहान का किरदार उन्होंने ऐसे निभाया जैसे कि वो कोई रियल लाइफ वाला बंदा हो। हर एक्सप्रेशन, हर डायलॉग – सब नैचुरल लगा। उनका इमोशनल सीन भी काफी रियलिस्टिक था, भले स्क्रिप्ट उतनी स्ट्रॉन्ग ना हो।
शनाया कपूर, जो इस फिल्म से डेब्यू कर रही हैं, उन्होंने ठीक-ठाक काम किया है। लुक्स की बात करें तो क्यूट लग रही थीं, और स्क्रीन प्रेजेंस भी अच्छा है। लेकिन इमोशनल सीन में थोड़ी और मेहनत करनी होगी।
ज़ैन खान दुर्गानी (अभिनव) – भाई ये तो बिल्कुल पैसिव लगे। न स्क्रीन पर दम था, न परफॉर्मेंस में। जैसे कोई एक्स्ट्रा डायलॉग बोल रहा हो।
बाकी साइड किरदार जैसे भारती शर्मा (नूर), रेहमत रत्तन (तान्या), सानंद वर्मा (सौखीलाल) – बस आये और चले गए। सानंद वर्मा थोड़ा एंटरटेनिंग थे लेकिन उनका ट्रैक अधूरा छोड़ दिया गया। राजेश जैस (सबा के पापा) और विक्रम कोचर (प्रशांत) – वेस्टेड टैलेंट!
डायरेक्शन – लंबी कहानी, छोटा असर
संतोष सिंह ने डायरेक्शन किया है। अब डायरेक्शन में टेक्निकली तो सब ठीक है – कैमरा वर्क, फ्रेम्स, लोकेशंस – लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि फिल्म बहुत खिंचती है। भाई, सीधी बात – जितना लेट आएगा क्लाइमेक्स, उतना ही ऑडियंस बोर होगी। कई सीन जबरदस्ती घुसे हुए लगे।
म्यूजिक और टेक्निकल चीज़ें – काम ठीक, लेकिन यादगार नहीं
विशाल मिश्रा का म्यूजिक सुनने में अच्छा है। गाने सॉफ्ट और सिचुएशनल हैं, लेकिन यार वो वाली मेलोडी मिसिंग है जो दिल में बस जाए। लिरिक्स भी अच्छे हैं, थोड़े डेप्थ वाले (विशाल मिश्रा और कौशल किशोर)। बैकग्राउंड म्यूजिक भी ठीक-ठाक था लेकिन उतना असरदार नहीं।
तनवीर मीर की सिनेमैटोग्राफी बहुत बढ़िया थी – लोकेशंस और फ्रेम्स क्लासी लगे। एडिटिंग (उन्नीकृष्णन पीपी) थोड़ी और टाइट होती तो मज़ा आ जाता।
कुल मिलाकर – प्यार है, लेकिन इमोशन नहीं
आंखों की गुस्ताखियां एक ऐसी फिल्म है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि कुछ तो अच्छा हो सकता था, लेकिन बना नहीं। दिल टूटने वाली लव स्टोरी होनी चाहिए थी – लेकिन यहां न आंखें नम होती हैं, न दिल भारी। सब कुछ बहुत प्रेडिक्टेबल और बिना इमोशन के हो जाता है।
Zee Studios ने इसे 11 जुलाई 2025 को रिलीज़ किया है, लेकिन ओपनिंग भी फीकी रही – खासकर बॉम्बे और बाकी शहरों में भी। प्रचार भी कमजोर रहा।
क्या देखना चाहिए?
अगर आप विक्रांत मैसी के फैन हैं तो एक बार देख सकते हैं। लेकिन अगर आप एक स्ट्रॉन्ग लव स्टोरी ढूंढ रहे हो जो दिल छू जाए, तो शायद ये फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरी न उतरे।
रेटिंग: ⭐⭐½ (2.5/5)
(1 स्टार विक्रांत मैसी के लिए, 1 म्यूजिक और कैमरा के लिए, और आधा स्टार शनाया कपूर की डेब्यू के लिए)
अंत में एक छोटी सी गुज़ारिश…
अगर आपको ये रिव्यू अच्छा लगा हो, तो हमारी वेबसाइट FilmiSurvey.com को सब्सक्राइब करना मत भूलिए! यहां आपको मिलेंगे बिना किसी पक्षपात के फिल्मी रिव्यू, और वो भी एकदम रियल देसी अंदाज़ में। हर हफ्ते मिलते हैं एक नई फिल्म की सच्ची-खरी रिपोर्ट के साथ।
चलो फिर, अगली फिल्म में मिलते हैं। तब तक – पॉपकॉर्न खाइए, मूवी देखिए, और FilmiSurvey पढ़ते रहिए! 🎬🍿