Baaghi 4 Review! बागी 4 का हिंदी रिव्हीव
बाग़ी 4 – फिल्म रिव्यू
दोस्तों, आज मैं लेकर आया हूँ आप सबके लिए बाग़ी 4 का ईमानदार रिव्यू। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ये फिल्म एकदम एक्शन से भरपूर है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ़ एक्शन से ही फिल्म हिट हो जाती है? चलिए ज़रा डिटेल में बात करते हैं।
कहानी और ट्रीटमेंट
फिल्म की कहानी का फोकस ज़्यादातर एक्शन पर है। डायरेक्टर ने हर सीन में जान डालने की कोशिश की है, पर सच कहूँ तो कहानी में वो दम नज़र नहीं आता। कई बार तो लगता है जैसे स्टोरी बैकग्राउंड में चली जाती है और बस खून-खराबा ही स्क्रीन पर छाया रहता है।
अब देखो, एक कॉलेज बॉय होने के नाते मुझे एक्शन सीक्वेंस देखना तो अच्छा लगता है, पर जब वो हद से ज़्यादा हो जाए, तो दिमाग़ भी थक जाता है। खासकर फैमिली और लेडीज़ ऑडियंस के लिए तो ये फिल्म वाकई भारी पड़ सकती है।
एक्शन और हिंसा
इस फिल्म का सबसे बड़ा हाइलाइट है – एक्शन। लेकिन भाई, इतना खून-खराबा और इतनी ज़्यादा हिंसा डाल दी गई है कि कई बार पेट में हलचल-सी होने लगती है। मेरी बगल में बैठी आंटी जी तो आधी फिल्म तक चेहरा घुमा-घुमा कर ही देख रही थीं।
मतलब ये है कि यंगस्टर्स को शायद ये सब बुरा न लगे, लेकिन फैमिली क्लास और महिलाएँ इस फिल्म से दूरी बना सकती हैं। यही वजह है कि बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर इसका सीधा असर पड़ने वाला है।
तकनीकी पक्ष
प्रोडक्शन डिजाइनिंग (तन्वी लीना पाटिल) – सेट्स और बैकग्राउंड का लेवल काफी अच्छा रखा गया है। विज़ुअल्स स्क्रीन पर दमदार लगते हैं।
एडिटिंग (किरण गौड़ा और नितिन) – एडिटिंग शार्प है। अगर स्टोरी थोड़ी बैलेंस्ड होती तो एडिटिंग और ज़्यादा नज़र आती।
पब्लिसिटी – फिल्म की पब्लिसिटी अच्छी रही है, पर ओपनिंग उतनी दमदार नहीं मिल पाई।
ओपनिंग और रिलीज़
फिल्म 5 सितम्बर 2025 को इनॉक्स, बॉम्बे में रोज़ाना 7 शोज़ के साथ रिलीज़ हुई। इसके अलावा पूरे देश में भी रिलीज़ हुई। लेकिन ओपनिंग बस औसत से लेकर फेयर तक रही और कई जगह तो उम्मीद से कम रिस्पॉन्स मिला।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव
अब मैं आपको सच-सच बताता हूँ। मैं तो अपने दोस्तों के साथ बड़े जोश में ये फिल्म देखने गया था। शुरुआत में लगा कि वाह, मस्त एक्शन है। पर जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ी, वो एक्शन इतना ओवरडोज़ हो गया कि मज़ा आधा रह गया।
आपने कभी ज़्यादा मिर्च वाली चाट खाई है? शुरू में टेस्ट आता है, पर कुछ ही देर बाद मुँह जलने लगता है। बस वैसा ही हाल इस फिल्म का है।
महिलाओं और फैमिली ऑडियंस की दूरी
अब देखो, आजकल फिल्मों की सबसे बड़ी ताक़त होती है फैमिली और महिलाएँ। वही बार-बार फिल्म देखकर माउथ पब्लिसिटी बढ़ाती हैं। लेकिन बाग़ी 4 में हिंसा इतनी ज़्यादा है कि महिलाएँ और फैमिली इस फिल्म से बचकर निकल जाएँगी। और जब ये ऑडियंस दूर हो जाती है, तो फिल्म के बिज़नेस पर सीधा असर पड़ता है।
कुल मिलाकर
सीधे शब्दों में कहूँ तो – बाग़ी 4 औसत दर्जे की फिल्म है।
यंग लड़कों को एक्शन पसंद आ सकता है।
फैमिली और महिलाएँ दूरी बनाएँगी।
बॉक्स ऑफिस पर इसे नुकसान झेलना पड़ेगा।
मेरा फैसला
अगर आप एक्शन के बड़े दीवाने हैं और खून-खराबे से दिक़्क़त नहीं है, तो ये फिल्म आपके लिए ठीक-ठाक टाइमपास साबित हो सकती है। लेकिन अगर आप फैमिली के साथ जाने का सोच रहे हैं, तो पॉपकॉर्न पर पैसे खर्च करने से पहले दो बार सोच लीजिए।
पाठकों से अपील
दोस्तों, ये था मेरा रिव्यू बाग़ी 4 का। अगर आपको मेरा ये रिव्यू पसंद आया हो तो हमारी वेबसाइट FilmiSurvey.com को सब्सक्राइब ज़रूर करें और रेगुलर विज़िट करते रहें। यहाँ आपको इसी तरह के मज़ेदार और बेबाक फिल्म रिव्यू पढ़ने को मिलेंगे।
और हाँ! हमने हाल ही में एक नया मज़ेदार टूल लॉन्च किया है – “Bollywood Fun Studio”। इसका लिंक हमारी वेबसाइट के हेडर सेक्शन में है। वहाँ जाकर आप बॉलीवुड से जुड़े फन गेम्स और टूल्स ट्राय कर सकते हैं। यक़ीन मानिए, आपको मज़ा आ जाएगा।
अंतिम शब्द
फिल्म का जादू तभी चलता है जब हर तरह की ऑडियंस कनेक्ट करे – लेकिन बाग़ी 4 सिर्फ़ एक हिस्से तक ही सीमित रह जाएगी। बाक़ी आप खुद जाकर देखिए और अपनी राय कमेंट में बताइए।
तो दोस्तों, ये था मेरा ईमानदार रिव्यू।
अगली फिल्म रिव्यू में मिलते हैं, तब तक FilmiSurvey.com से जुड़े रहिए।