Dhadak 2 Review : धडक 2 का हिंदी रिव्हीव
धड़क 2 – जब मोहब्बत से बड़ी बन गई जात-पात की दीवार | By FilmiSurvey.com
भाइयों और बहनों, जब मैंने सुना कि धड़क 2 आ रही है, तो सबसे पहले दिमाग में Janhvi Kapoor और Ishaan Khatter वाली पहली फिल्म घूम गई — थोड़ी dreamy, थोड़ी filmi-type लव स्टोरी। लेकिन जैसे ही मैंने इस नई वाली फिल्म देखी, तो समझ में आया कि इस बार मसला काफी सीरियस है। मतलब सीधा दिल पे लगेगा… और दिमाग पे भी।
कहानी की धड़कन
‘Dhadak 2’ की कहानी प्यार से शुरू होती है, लेकिन रास्ते में आ जाती है जात-पात की गहरी खाई। फिल्म की inspiration है Tamil फिल्म Pariyerum Perumal — और सच कहूं, तो उस लेवल की sensitivity यहाँ दिखाने की पूरी कोशिश की गई है।
नीलेश (Siddhant Chaturvedi) एक lower caste लड़का है जो quota में law college में admission लेता है। लेकिन भाई, college में पढ़ाई कम और उसकी caste की याद ज़्यादा दिलाई जाती है। हर पल कोई न कोई taunt करता रहता है – “quota वाला है”, “backdoor entry है”… इस तरह की typical mentality।
वहीं पर है विदि (Tripti Dimri), एक upper caste लड़की जो उसी class में पढ़ती है। पहले दोस्ती होती है, फिर धीरे-धीरे love वाला feel आता है… और फिर प्यार। लेकिन जब घरवालों को पता चलता है, तो आग लग जाती है। emotional भी, और literal भी।
तो सवाल उठता है — क्या प्यार इन सब दीवारों को तोड़ पाएगा? या फिर ये भी वही पुरानी कहानी बनकर रह जाएगी जहां society जीतती है और दिल हार जाता है?
एक्टिंग की क्लास में कौन पास?
सबसे पहले बात करें Siddhant Chaturvedi की – भाई ने acting में आग लगा दी है। नीलेश का गुस्सा, उसका दर्द, उसकी बेबसी – सब कुछ इतने असली तरीके से दिखाया है कि कई बार सीना भारी हो जाता है।
Tripti Dimri as Vidhi – graceful, intense और एकदम परिपक्व। उसके expressions और dialogue delivery इतने natural लगते हैं कि लगे ही नहीं वो एक्टिंग कर रही है। खासकर emotional scenes में वो दिल छू जाती है।
बाकी एक्टर्स में से कुछ performances ऐसी थीं जो काफी याद रह जाएंगी:
Saurabh Sachdeva as Shankar – calm yet dangerous vibe।
Zakir Hussain as principal Haider Ansari – भाई saab, क्या personality और क्या depth!
Saad Bilgrami (Ronnie) और Aditya Thakare (Vasu) जैसे actors ने side roles में जान डाल दी है।
हर character ने अपना part सही से निभाया, कोई over-the-top drama नहीं दिखा – और यही इस फिल्म का strong point है।
डायरेक्शन – दिल से या सिर्फ मुद्दे पे?
फिल्म की direction की कमान संभाली है Shazia Iqbal ने। काफी हिम्मत की बात है इतनी layered और sensitive फिल्म को handle करना। लेकिन यहीं पर थोड़ा confusion दिखता है।
शाज़िया ने पूरी फिल्म में casteism को highlight किया — जो ज़रूरी भी है — लेकिन कहीं ना कहीं नीलेश और विदि की love story थोड़ा पीछे रह गई। मतलब audience एक intense love story देखने आई थी, लेकिन caste politics ज़्यादा मिल गई।
और दूसरा minus point – बहुत सारे sub-plots एक साथ चल रहे हैं:
college की politics
students का protest
नीलेश का emotional trauma
विदि का family pressure
और फिर main love story
इतनी सारी कहानियाँ एक साथ होने से film थोड़ी बिखर जाती है। ऐसा लगता है जैसे एक साथ बहुत कुछ कहने की कोशिश की गई है, लेकिन focus कहीं-कहीं भटक गया।
म्यूजिक – दिल को छू गया या कान से निकल गया?
म्यूजिक वाकई इस फिल्म की जान है भाई!
“Bawaria” by Tanishk Bagchi – ekdum addictive vibe वाला गाना है। beats aur lyrics dono hi catchy हैं।
“Preet Re” और “Ye Kaisa Ishq” – Rochak Kohli के composition में दिल को छू लेने वाले गीत हैं।
“Bas Ek Dhadak” और “Tu Meri Dhadak Hai” – romantic feels से भरपूर हैं।
“Duniya Alag” – थोड़ा philosophical, थोड़ा soulful, बस मस्त।
इन सब गानों की picturization भी classy है – Caesar-Gonsalves और Tushar Kalia जैसे choreographers ने songs को अच्छे से design किया है।
Tanuj Tiku का background score भी ठीक है, लेकिन थोड़ा और impactful होता तो scenes और भी gripping बन सकते थे।
टेक्निकल बातें – जिनसे फिल्म की धड़कन बनती है
Cinematography by Sylvester Fonseca – भाई, कमाल की फ्रेमिंग। चाहे village हो या law college – हर shot thought-out है।
Action choreography – realistic है, dramatic नहीं। That’s a plus!
Editing – थोड़ी ढीली है। कई scenes खिंचते से लगते हैं, especially middle part में।
Production design and art direction काफी natural और grounded रखी गई है – जो caste-based social story के लिए जरूरी भी था।
बॉक्स ऑफिस वाला मामला
Film 1 August 2025 को release हुई – Inox जैसे theatres में 5 shows daily। Publicity ठीक-ठाक थी, लेकिन opening normal से भी नीचे रही।
Metros में थोड़ा interest दिखा, लेकिन छोटे शहरों और interiors में opening ठंडी पड़ी।
Problem ये रही कि audience ये सोच कर आई थी कि Dhadak 2 शायद पहली वाली धड़क की तरह होगी – romance-heavy, Bollywood style drama — लेकिन यहाँ उन्हें social message ज़्यादा और love कम मिला।
मेरा Verdict – देखूं या ना देखूं?
अगर आप ऐसे इंसान हो जिसे serious cinema, social topics और impactful performances पसंद हैं – तो ये फिल्म आपकी है।
लेकिन अगर आप popcorn लेकर एक हल्की-फुल्की love story देखने आए हो – तो फिर थोड़ा disappointment पक्का है।
FilmiSurvey Rating: ⭐️⭐️⭐️ (3 out of 5)
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अंत में – आप क्या सोचते हो?
Dhadak 2 आपको कैसी लगी? क्या आपको caste वाला angle सही लगा या love story weak लगी?
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Milte hain अगली फिल्म की review में – तब तक के लिए… filmy रहो, funky रहो!