Sant Tukaram Film Review : संत तुकाराम फिल्म रिव्हीव
FilmiSurvey Special Review – “Sant Tukaram” (2025) | इतिहास का सत्संग या बोरियत की कथा? आइए सच में बात करें!
भाई लोगो, जब मैंने देखा कि “Sant Tukaram” नाम की एक फिल्म आ रही है, तो थोड़ा excited हो गया। बचपन से Tukaram Maharaj के बारे में सुनते आए हैं – भक्ति, अभंग, और उनका आध्यात्मिक सफर। तो सोचा चलो कुछ spiritual और soulful देखने को मिलेगा, थोड़ा मन भी शुद्ध हो जाएगा। लेकिन सिनेमाघर से बाहर निकलते वक्त दिल से एक ही आवाज़ आई – “हे विठोबा, हे पांडुरंगा, ये क्या देख लिया!”
कहानी – इतिहास का नाम लेकर documentary serve कर दी गई
Sant Tukaram फिल्म, जैसा नाम से साफ है, 17वीं शताब्दी के मशहूर संत और कवी Tukaram Maharaj की कहानी पर आधारित है। उनका जीवन, भक्ति में उनका समर्पण, समाज की बुराइयों से लड़ना और विठोबा के लिए उनका पागलपन – सब दिखाने की कोशिश की गई है।
लेकिन भाई, कहानी जितनी पवित्र और शक्तिशाली है, उसका फिल्मी रूप उतना ही कमजोर और बिखरा हुआ लग रहा है।
फिल्म की storytelling ऐसी है जैसे किसी ने YouTube पे भक्ति चैनल खोल दिया हो और historical facts को narration की शक्ल में दिखा दिया हो।
Drama ऐसा लगता है जैसे डॉक्युमेंट्री चल रही है, ना कोई emotional engagement, ना ही कोई cinematic feel।
Dialogues ऐसे जैसे किसी पुरानी किताब से directly पढ़कर बोल दिए गए हों। Zero impact!
एक्टिंग – सबने अपनी कोशिश की, लेकिन…
Subodh Bhave जो Sant Tukaram बने हैं – भाईसाहब, ना बुरा है ना बहुत अच्छा। मतलब average है, कुछ scenes में connect हो पाते हैं लेकिन ज़्यादातर वक्त बस seriousness बनाए रखते हैं।
Sheena Chohan ने Avali (तूकाराम की पत्नी) का रोल निभाया है – honestly कहूं तो weak performance थी। उनकी presence ही बहुत फीकी लगी।
Shiva Suryavanshi ने Mambaji का role ठीक से निभाया है, थोड़ी earnest कोशिश दिखती है।
बाकी सारे characters – जैसे Shishir Sharma, Rupali Jadhav, Twinkle Kapoor, Gauri Sankar, Nawab (as Shivaji Maharaj) – सब बस routine टाइप की performances देते हैं। कोई standout नहीं है।
हाँ, एक बात ज़रूर कहनी पड़ेगी – Sanjay Mishra और Ganesh Yadav अपने छोटे roles में natural लगे, शायद इसलिए क्योंकि उनके expressions में कुछ असलियत झलकती है।
डायरेक्शन – भक्ति में विश्वास नहीं, कहानी में direction नहीं!
Aditya Om ने ये फिल्म direct की है – और भाईसाहब ने direct क्या किया है, पता ही नहीं चला। पूरी फिल्म में no grip, no flow, no heart. जिस तरह से एक spiritual journey को present किया गया है, वो ऐसा लगता है जैसे क्लास में बैठे हैं और कोई boring lecture चल रहा है।
Scenes आपस में जुड़े हुए नहीं लगते।
Pace इतना slow है कि popcorn भी खत्म हो जाए और नींद भी आने लगे।
किसी भी character की journey में depth नहीं है।
म्यूज़िक – अच्छा होते हुए भी बेअसर
भाई, Sant Tukaram और भक्ति – तो म्यूज़िक से उम्मीद तो रहती है न? लेकिन यहाँ disappointment ही हाथ लगती है।
गाने तो हैं – Vithoba Rakhumai, Mauli Mauli, Vitthal Vitthal – और हाँ, Mauli Mauli वाला song थोड़ा soulful है, लेकिन बाकी सब तुरंत भूल जाने लायक हैं।
सबसे अजीब बात – original Marathi Tukaram अभंग्स को सीधे फिल्म में डाला गया है। अब pan-India audience को अगर समझ ही नहीं आ रहा, तो connection कैसे बनेगा?
Background music भी बस functional है – कोई dramatic impact नहीं देता।
टेक्निकल पक्ष – कमजोर execution
Cinematography (Madhusudan Kota) है ही बस ठीक-ठाक। फिल्म visual delight नहीं देती।
Production design इतना flat है कि कुछ scenes में गांव वाला setup ही artificial लगता है।
Editing (Prakash Jha) – बहुत ही लूज़ है। फिल्म का pace और slow हो गया इससे। कई बार तो लगता है कि बस सीन ऐसे ही डाल दिए गए हैं टाइम पास करने के लिए।
Box Office & Audience Reaction – भक्ति में भी business fail
फिल्म 18 जुलाई 2025 को रिलीज़ हुई – Bombay के Metro Inox और कुछ और जगहों पर – सिर्फ 1 शो रोज़!
Publicity इतनी dull थी कि मुझे खुद Google करना पड़ा कि रिलीज़ कब हुई।
Opening – जैसा कि उम्मीद थी – terribly weak. पूरे इंडिया में तो छोड़ो, महाराष्ट्र में भी लोग नहीं पहुंचे देखने।
अब हमसे सुनो Final Verdict –
Sant Tukaram जैसी पवित्र और प्रेरणादायक शख्सियत पर फिल्म बनाना एक बड़ा काम होता है। लेकिन बस नाम और धार्मिक background से audience खींची नहीं जा सकती।
ये फिल्म कहीं से भी cinematic experience नहीं देती। इसे देखना ऐसा है जैसे आप जबरदस्ती कोई आध्यात्मिक सेमिनार में बैठा दिए गए हों — जिसमें ना visuals हैं, ना emotions, और ना ही वो spiritual energy।
अगर फिल्म makers ने इसे Marathi audience तक सीमित रखा होता, proper भावनात्मक touch और सधी हुई direction के साथ – तो शायद बात बन सकती थी।
हमारी तरफ से रेटिंग:
कहानी की पवित्रता – 8/10
स्क्रीनप्ले – 2/10
एक्टिंग – 4/10
डायरेक्शन – 1/10
म्यूज़िक – 5/10
Over All Rating: 3/10 – सिर्फ़ नाम Shri Sant Tukaram ji का है, बाकी सब अधूरा।
अंत में एक विनती — भक्ति हो या फिल्म, सच्चाई ज़रूरी है!
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अगली बार फिर मिलेंगे किसी नई फिल्म के साथ –
तब तक पॉपकॉर्न बचा के रखो, और असली content का इंतज़ार करो