UDAIPUR FILES: KANHAIYA LAL TAILOR MURDER’ REVIEW | 8 August, 2025
UDAIPUR FILES: KANHAIYA LAL TAILOR MURDER’– रियल स्टोरी, लेकिन फिल्म में जान कम
दोस्तों, इस हफ्ते मैंने देखी Jani Firefox Films की “Udaipur Files: Kanhaiya Lal Tailor Murder”. नाम से ही पता चल रहा है कि ये कोई रोमांस या कॉमेडी फिल्म नहीं है, बल्कि एक सच्ची घटना पर आधारित क्राइम ड्रामा है.
फिल्म की कहानी साल 2022 की उस घटना पर आधारित है, जिसने पूरे देश को हिला दिया था.
कहानी की शुरुआत – एक दर्जी और एक गलत फहमी
कनहैयालाल जी (विजय राज) उदयपुर के एक साधारण से दर्जी हैं. छोटे से टेलरिंग शॉप में कपड़े सिलकर घर चलाते हैं. उनकी ज़िंदगी सीधी-सादी है, लेकिन एक दिन सब बदल जाता है.
उनका एक मुस्लिम दोस्त, नज़ीम (पुनीत वशिष्ठ), उनके मोबाइल से एक सोशल मीडिया पोस्ट डाल देता है. पोस्ट की वजह से कुछ लोगों की भावनाएं आहत होती हैं. धीरे-धीरे मामला इतना बढ़ जाता है कि नफरत और गुस्से में एक मुस्लिम युवक कनहैयालाल की बेरहमी से हत्या कर देता है.
ये सब सुनने में जितना डरावना है, पर्दे पर भी वैसा ही होना चाहिए था. लेकिन फिल्म उस इमोशन को पकड़ नहीं पाती.
कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग
अमित जानी और भारत एस. श्रीनाथे की कहानी पेपर पर तो पावरफुल थी, लेकिन स्क्रीन पर आकर फीकी पड़ गई.
जयंत सिन्हा का स्क्रीनप्ले कई जगह धीमा पड़ जाता है. आपको लगता है कि अब कहानी में कुछ धमाका होगा, लेकिन फिर सीक्वेंस बस निकल जाता है.
डायलॉग्स में भी वो पॉलिटिकल टेंशन और इमोशनल इम्पैक्ट नहीं है, जो इस तरह की रियल-लाइफ़ क्राइम स्टोरी में होना चाहिए था.
एक्टिंग – कुछ ने जान डाल दी, कुछ बस निभा गए
विजय राज – इस फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट. उन्होंने कनहैयालाल का किरदार इतनी सच्चाई से निभाया है कि आपको लगेगा वो असली शख्सियत है. उनका डर, उनकी मासूमियत, सब दिल को छू जाते हैं.
पुनीत वशिष्ठ (नज़ीम) – रोल छोटा था, लेकिन निभा दिया. कोई खास यादगार सीन नहीं.
रजनीश दुग्गल (इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह) – पुलिस वाले के रोल में ठीक लगे, लेकिन स्क्रीन टाइम कम है.
प्रीति झंगियानी (रिपोर्टर अंजना) – औसत. रिपोर्टिंग के सीन में भी वो रियल न्यूज रिपोर्टर जैसी एनर्जी नहीं ला पाईं.
कमलेश सावंत (इंस्पेक्टर राजवीर) – भाई, ये तो एक सीन में ही आए लेकिन गजब का असर छोड़ गए.
बाकियों में मुश्ताक खान, एहसान खान, कांची सिंह, मनोज बक्शी, गगनदीप सिंह, संदीप बोस, नरेश गोसाई वगैरह सबने अपना-अपना काम ईमानदारी से किया.
डायरेक्शन – इमोशन और इम्पैक्ट दोनों कम
भारत एस. श्रीनाथे का डायरेक्शन सीधा-साधा है, लेकिन ऐसे सब्जेक्ट को “सीधा-साधा” ट्रीटमेंट नहीं चाहिए था.
यहाँ ज़रूरत थी सेंसिटिविटी की, डिटेल रिसर्च की, और ऐसे सीन की जो दर्शकों के दिल में उतर जाएं.
लेकिन फिल्म कई जगह डॉक्यूमेंट्री टाइप हो जाती है, जिसमें इमोशनल हाई पॉइंट गायब है.
म्यूज़िक और टेक्निकल्स
म्यूज़िक – राज आशू, रेवन आरती सिंह और जितेंद्र जवड़ा ने दो गाने दिए हैं, जो सुनने के बाद याद भी नहीं रहते.
लिरिक्स – अमित जानी और भारत एस. श्रीनाथे के, बस औसत.
बैकग्राउंड म्यूज़िक – इतने सीरियस सब्जेक्ट में बीजीएम का रोल बड़ा होता है, लेकिन यहाँ वो टेंशन क्रिएट नहीं कर पाता.
कैमरा वर्क – वसंथा कुमार ए. का काम न बहुत बुरा है, न बहुत अच्छा. कुछ सीन में कैमरा शेक और लाइटिंग की दिक्कत है.
एडिटिंग – अमरनाथ प्रभा और वृशभ सुतार की एडिटिंग अगर शार्प होती, तो फिल्म का टेम्पो और इम्पैक्ट दोनों बेहतर हो सकते थे.
पब्लिक रिएक्शन
फिल्म रिलीज़ हुई मूवीमैक्स कंजूरमार्ग और बाकी मुंबई के सिनेमाघरों में, लेकिन ओपनिंग बहुत कमजोर रही. सोशल मीडिया पर भी इस फिल्म की चर्चा कम रही.
लोगों का रिव्यू भी मिलाजुला रहा – ज्यादातर ने कहा कि फिल्म में स्टोरी तो पावरफुल है, लेकिन प्रेजेंटेशन कमजोर.
मेरी सोच – क्यों नहीं चली?
दोस्तों, जब आप किसी रियल-लाइफ़ क्राइम को पर्दे पर लाते हैं, तो ऑडियंस का इमोशन पहले से जुड़ा होता है.
यहाँ कहानी में पावर थी, लेकिन स्क्रिप्ट, डायरेक्शन और म्यूज़िक ने उसे कमज़ोर कर दिया.
अगर मेकर्स कोर्टरूम ड्रामा, मीडिया ट्रायल और इन्वेस्टिगेशन वाले हिस्से को और डिटेल में दिखाते, तो फिल्म ज़्यादा एंगेजिंग बन सकती थी.
पर्सनल टच –
मैंने ये फिल्म एक सिंगल स्क्रीन थियेटर में देखी. स्टार्टिंग में लोग काफी सीरियस होकर देख रहे थे, लेकिन इंटरवल तक आधी पब्लिक अपने फोन स्क्रॉल करने लगी.
मुझे लगा था कि पोस्ट-इंटरवल फिल्म में टेंशन और इमोशनल हाई आएगा, लेकिन वहां भी स्लो पेस और बिना पंच वाले डायलॉग चलते रहे.
अंत में, मेरे लिए ये फिल्म “एक अच्छी कहानी का खराब प्रेजेंटेशन” बनकर रह गई.
वर्डिक्ट
अगर आप सिर्फ विजय राज की एक्टिंग के लिए देखना चाहें तो ठीक है, वरना OTT पर आने का इंतजार करें.
इस फिल्म में इमोशन और इम्पैक्ट दोनों का लेवल और ऊपर जा सकता था.
दोस्ताना रिक्वेस्ट –
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